जिस उम्र में लोग पकड़ लेते हैं खटिया, इन माता जी ने खड़ी कर डाली कंपनी, क्‍या है बिजनेस?

नई दिल्‍ली: 75 साल की मीनाक्षी मेहरा पहले इंटीरियर डिजाइनर थीं। अब वह एक सफल ऑर्गेनिक फूड ब्रांड 'मॉममेड' की मालकिन हैं। उन्होंने 72 साल की उम्र में अपनी बेटी के प्रोत्साहन से खाना बनाने के अपने शौक को व्यवसाय में बदल दिया। 'मॉममेड' पारंपरिक भार

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नई दिल्‍ली: 75 साल की मीनाक्षी मेहरा पहले इंटीरियर डिजाइनर थीं। अब वह एक सफल ऑर्गेनिक फूड ब्रांड 'मॉममेड' की मालकिन हैं। उन्होंने 72 साल की उम्र में अपनी बेटी के प्रोत्साहन से खाना बनाने के अपने शौक को व्यवसाय में बदल दिया। 'मॉममेड' पारंपरिक भारतीय स्वादों को बढ़ावा देता है। कोरोना महामारी के दौरान उनके डिजाइन का काम रुक गया। इससे उन्हें 'मॉममेड' शुरू करने का मौका मिला। यह ब्रांड अब दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे शहरों में अपने ग्राहकों तक पहुंचता है। मीनाक्षी का मानना है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है। कड़ी मेहनत हमेशा रंग लाती है। आइए, यहां मीनाक्षी मेहरा की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।

72 साल की उम्र में शुरू किया वेंचर

72 साल की उम्र में शुरू किया वेंचर

मीनाक्षी मेहरा की कहानी प्रेरणा से भरपूर है। वह 75 साल की उम्र में भी नई ऊंचाइयों को छू रही हैं। एक समय में मशहूर इंटीरियर डिजाइनर रहीं मीनाक्षी अब एक सफल फूड ब्रांड की संस्थापक हैं। उन्होंने 'मॉममेड' के जरिए अपने कुकिंग के शौक को लाभदायक व्यवसाय में बदल दिया। यह ब्रांड ऑर्गेनिक और पारंपरिक भारतीय खाने की चीजें बनाता है। मीनाक्षी ने 72 साल की उम्र में 'मॉममेड' की शुरुआत की थी। उनकी बेटी ने उन्हें इस काम के लिए प्रेरित किया। उनका मानना था कि मीनाक्षी के स्वादिष्ट खाने का स्वाद ज्‍यादा लोगों तक पहुंचना चाहिए। 'मॉममेड' ब्रांड अचार, मिठाई, नमकीन, चटनी और पेय पदार्थ जैसी कई तरह की चीजें बनाता है। इन सभी चीजों में प्रामाणिक भारतीय स्वाद और ऑर्गेनिक सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है।

संघर्षों से भरा रहा जीवन

संघर्षों से भरा रहा जीवन

मीनाक्षी मेहरा का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। उनके माता-पिता स्वतंत्रता सेनानी थे। उनकी मां 13 महीने और पिता सात साल जेल में रहे। इस दौरान उनकी मां ने ही घर की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने मीनाक्षी को सिखाया कि कैसे मुश्किल समय में भी मजबूत बने रहना है। मीनाक्षी के पिता लोगों की मदद करने में हमेशा आगे रहते थे। मीनाक्षी को बचपन से ही इंटीरियर डिजाइन का शौक था। उनके परिवार ने उन्हें इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने चंडीगढ़ पॉलिटेक्निक कॉलेज से पढ़ाई शुरू की और फिर दिल्ली में इंटीरियर डिजाइन का कोर्स पूरा किया। वह 1969 में इस कोर्स से ग्रेजुएट होने वाले पहले बैच के छात्रों में से एक थीं। उस समय ऐसे कार्यक्रम असामान्य थे। तब यह कोर्स करना आसान भी नहीं था।

रुका इंटीरियर डिजाइन का काम

रुका इंटीरियर डिजाइन का काम

ग्रेजुएशन के बाद मीनाक्षी ने सुपन फर्नीचर में चार साल काम किया। लेकिन, परिवार की जिम्‍मेदारियों के चलते उन्होंने नौकरी छोड़ दी। उनकी दो बेटियां हैं। मीनाक्षी ने अपनी बेटियों की परवरिश के लिए 17 साल तक काम से ब्रेक लिया। 1995 में मीनाक्षी ने फिर से इंटीरियर डिजाइन का काम शुरू किया। 2018 में मीनाक्षी के जीवन में कई दुखद घटनाएं घटीं। उन्होंने अपने ससुर, सास और पति को खो दिया। 2020 में कोरोना महामारी के कारण मीनाक्षी का डिजाइन का काम रुक गया। उन्हें ग्राहकों और कर्मचारियों से मिलने में दिक्कत होने लगी। इसी दौरान उन्हें 'मॉममेड' शुरू करने का विचार आया। 'मॉममेड' ने मीनाक्षी को एक नया मकसद दिया। मीनाक्षी हमेशा से अपने परिवार और दोस्तों के लिए अचार बनाती रही हैं। महामारी ने उन्हें अपने इस शौक को व्यवसाय में बदलने का मौका दिया।

अपनी मेहनत से खड़ा किया सफल ब्रांड

अपनी मेहनत से खड़ा किया सफल ब्रांड

बेटी कनिका ने अपनी मां के हुनर को पहचाना और अपनी बड़ी बहन के साथ मिलकर उन्हें 'मॉममेड' शुरू करने के लिए प्रेरित किया। 2021 में 72 साल की उम्र में मीनाक्षी ने 'मॉममेड' लॉन्च किया। मीनाक्षी अपने उत्पादों की क्वालिटी पर पूरा ध्यान देती हैं। वह 100% ऑर्गेनिक सामग्री का इस्तेमाल करती हैं। किसी भी तरह के प्रिजर्वेटिव नहीं डालतीं। चीनी की जगह वह गुड़ का इस्तेमाल करती हैं। वह अचार छोटे बैच में बनाती हैं और हर स्टेप पर खुद नजर रखती हैं। उनके सबसे ज्‍यादा बिकने वाले उत्पादों में पंजाबी आम का अचार, नींबू खट्टा-मीठा अचार, करेला अचार और लहसुन का अचार शामिल हैं। इसके अलावा बेसन बर्फी, लड्डू और जिंजरेल भी लोकप्रिय हैं। मीनाक्षी हमेशा नए स्वादों की तलाश में रहती हैं। उन्होंने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे YouTube से प्रेरणा लेकर कच्चे खजूर का अचार बनाया है, जो ग्राहकों को बहुत पसंद आ रहा है। 'मॉममेड' अब दिल्ली और मुंबई के अलावा हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे शहरों में भी उपलब्ध है।मीनाक्षी की यह यात्रा बताती है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है। किसी भी उम्र में कुछ नया शुरू किया जा सकता है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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